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कंप्यूटर क्या है। कंप्यूटर की परिभाषा और विशेषताएं

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कंप्यूटर एक मशीन है जो सूचनाओं को स्टोर और प्रोसेस कर सकती है। अधिकांश कंप्यूटर एक बाइनरी सिस्टम पर निर्भर करते हैं जो डेटा स्टोर (Data store) करने, एल्गोरिदम (Algorithms) की गणना करने और जानकारी प्रदर्शित करने जैसे कार्यों को पूरा करने के लिए दो वेरिएबल्स, 0 और 1 का उपयोग करते है।

कंप्यूटर कई अलग-अलग आकार में आते हैं, जिसमें स्मार्टफोन से लेकर सुपर कंप्यूटर तक जिनका आकार एक कमरे के बराबर तक हो सकता है।

कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी भाषा के शब्द “कंप्यूट” (Compute) से हुई है, इस शब्द का अर्थ है गिनती अथवा गणना करना ।

पहले कंप्यूटर का मतलब ऐसे व्यक्ति से हुआ करता था जो गणना करता हो, लेकिन अब इस शब्द का उपयोग लोग ऑटोमेटिक इलेक्ट्रोनिक मशीन के संदर्भ में करते हैं।

स्मार्टफोन
सुपर कंप्यूटर
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कंप्यूटर में डाटा को स्वीकार करके प्रोग्राम को क्रियान्वित (Execute) करने की क्षमता होती है। कंप्यूटर में डाटा को स्वीकार करने के लिए इनपुट डिवाइस (Input Device) तथा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त परिणाम को प्रस्तुत करने के लिए आउटपुट डिवाइस (Output Device) होती है।

पहले कम्प्यूटरों का प्रयोग मुख्यतः संख्यात्मक गणनाओं (numerical calculations) के लिए किया जाता था। हालांकि, किसी भी जानकारी को संख्यात्मक रूप से एन्कोड किया जा सकता है, लोगों ने जल्द ही महसूस किया कि कंप्यूटर सामान्य-उद्देश्य वाली सूचना प्रोसेस करने में सक्षम हैं।

कंप्यूटर बहुत बड़ी मात्रा में डाटा को प्रोसेस कर सकता है इस कारण से कंप्यूटर का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जा रहा है।

विषय – सूची

कंप्यूटर की परिभाषा

कंप्यूटर को कई तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है।

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो प्रोग्राम ( निर्देशों का समूह) के नियंत्रण में डाटा को प्रोसेस करके सूचना (Information) उत्पन्न करता है।

या

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो इनपुट डाटा को प्रसेस करके जानकारी के रूप में आउटपुट प्रदर्शित करता है।

या

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे सूचना के साथ काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

ऊपर बताई गई सभी परिभाषाएं कंप्यूटर को समझाती हैं यदि आप कंप्यूटर कि विस्तृत परिभाषा चाहते हैं तो यह भी कह सकते हैं।

कंप्यूटर एक मशीन या उपकरण है जो एक सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर प्रोग्राम द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर प्रक्रिया, गणना और संचालन करता है। इसमें डेटा (इनपुट) को स्वीकार करने, इसे प्रोसेस (Process) करने और फिर आउटपुट उत्पन्न करने की क्षमता होती है।

कंप्यूटर कैसे काम करता है

कंप्यूटर का कैसे करता है। इसके बारें में दिखाया गया है।

अब तक हम यह जान चुके हैं की कंप्यूटर इनपुट लेता है, प्रोसस करता है, फिर जानकारी के रूप में हमारे समक्ष आउटपुट प्रस्तुत करता है। मगर यह सारे काम वो कैसे करता है हम इसी बारे में चर्चा करेंगे।

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। इसे चलाने के लिए हमें बिजली (electricity) की जरूरत पड़ती है।

जैसे ही हम किसी कंप्यूटर डिवाइज़ में बिजली की पूर्ती करते हैं तो वह चलने लग जाता है और इनपुट लेने के लिए तैयार हो जाता है।

यूजर, इनपुट डिवाइस (माउस, कीबोर्ड) के जरिए कंप्यूटर को इनपुट दे सकता है। उदा. मान लीजिए आपने कंप्यूटर को कीबोर्ड के माध्यम से 2 और 2 जोड़ने का इनपुट दिया।

कंप्यूटर आपके निर्देश को पहले मेमोरी (रेम) में स्टोर करेगा फिर इस निर्देश को प्रोसेस करने के लिए प्रोसेसर के पास भेज देगा। जब CPU / प्रोसेसर 2+2 को जोड़ लेगा तब मॉनीटर के माध्यम से आउटपुट के रूप में 4 प्रदर्शित कर दिया जाएगा।

इस तरीके से एक क्लासिक कंप्यूटर काम करता है।

कंप्यूटर के मुख्य कार्य (Basic works of Computer)

एक क्लासिक कंप्यूटर मूल रूप से 5 काम करता है।

  1. इनपुटिंग (Inputting)
  2. स्टोरिंग (Storing)
  3. प्रोसेसिंग (Processing)
  4. आउटपुटिंग (Outputting)
  5. कंट्रोलिंग (Controlling)

इनपुटिंग (Inputting)– इनपुटिंग के द्वारा डाटा तथा निर्देश कंप्यूटर में डाले जाते हैं। यह कार्य अधिकतर इनपुट डिवाइस जैसे माउस और कीबोर्ड के द्वारा संपन्न किया जाता है।

स्टोरिंग (Storing) – डाटा तथा निर्देश को कंप्यूटर की मेमोरी में सेव किया जाता है। जिससे की आवश्यकता पड़ने पर उनका प्रयोग किया जा सके।

प्रोसेसिंग (Processing) – प्रोसेसिंग के द्वारा अंकगणितीय क्रियाएं (Arithmatic Operations) तथा तार्किक गणनाएं (Logical Operations) डाटा पर की जाती हैं। प्रोसेसिंग द्वारा डाटा को महत्वपूर्ण जानकारी में बदला जाता है। अंकगणित क्रियाओं में जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग (+, -, x, ÷,) आते हैं तथा तार्किक क्रियाओं में Equal to (=), Less than (<), Greater than (>), आदि आते हैं। प्रोसेसिंग का सारा कार्य ALU (Arithmetic Logic Unit) द्वारा संपन्न होता है।

आउटपुटिंग (Outputting) – आउटपुटिंग यूज़र को महत्वपूर्ण सूचना देने का प्रोसेस है। यह महत्वपूर्ण सूचना छुपी हुई रिपोर्ट या विजुअल डिस्प्ले हो सकती हैं।

कंट्रोलिंग (Controlling) – कंट्रोल यूनिट सभी डिवाइसेज को कंट्रोल करती है तथा उपयुक्त निर्देश भी देती है।

कंप्यूटर के भाग (Parts of Computer)

  • कंप्यूटर (Computer)
    • हार्डवेयर (Hardware)
      • सी. पी. यू. (CPU)
        • कंट्रोल यूनिट (Control Unit)
        • अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic logic Unit)
        • मेमोरी यूनिट (Memory Unit)
      • पेरीफेरल (Peripheral)
        • इनपुट डिवाइस
          • की-बोर्ड (Keyboard)
          • माउस (Mouse)
          • स्कैनर (Scanner)
          • लाइट पैन (light pen)
          • टच स्क्रीन (Touch Screen)
        • आउटपुट डिवाइस (Output devices)
          • मॉनीटर (Monitor)
          • प्रिन्टर (Printer)
          • स्पीकर (Speaker)
    • सॉफ्टवेयर (Software)
      • सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
      • एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)
      • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)

हार्डवेयर बनाम सॉफ्टवेयर (Hardware vs Software)

हार्डवेयर (Hardware)

हार्डवेयर

कंप्यूटर के यांत्रिक (mechanical), वैद्युत तथा इलेक्ट्रॉनिक भाग कंप्यूटर हार्डवेयर कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि कंप्यूटर के ऐसे भाग, जिन्हें छूकर महसूस किया जा सके, उन्हें कंप्यूटर हार्डवेयर कहते हैं।

सॉफ्टवेयर (Software)

सॉफ्टवेयर

कंप्यूटर में किसी निश्चित कार्य को संपन्न कराने के लिए कंप्यूटर को दिये जाने वाले निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहते हैं। ये प्रोग्राम (Program) कंप्यूटर भाषा में कंप्यूटर प्रोग्रामर (Programmer) द्वारा तैयार किए जाते हैं तथा इन प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहते हैं।

कंप्यूटर की विशेषताएं (Characteristics of Computer)

आजकल कंप्यूटर का उपयोग हर क्षेत्र में हो रहा है क्योंकि कंप्यूटर ही एक ऐसी स्वचालित मशीन है जो कि बहुत सारे कार्य स्वतः कर लेती है इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं।

  1. स्वचालन (Automatic) – कंप्यूटर अपने समस्त कार्य स्वचालित रूप से करता है।  एक बार सभी आंकड़े कंप्यूटर में फीड करने के पश्चात उन्हें एक निश्चित प्रोग्राम के निर्देश के अनुरूप विभिन्न कार्यों हेतु भिन्न-भिन्न रूप से विश्लेषण कर शुद्ध परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
  2. गति (Speed) – कम्प्यूटर अत्यधिक तीव्र गति से अपने कार्य को अंजाम देता है। एक मनुष्य  जितने कार्य को करने में एक वर्ष लगा देता है उतना ही कार्य एक कम्प्यूटर कुछ ही सैकेण्डों मे पूरा कर देता है। कंप्यूटर कई लाख निर्देशों को एक सेकंड में क्रियान्वित कर देता है और वह भी लगातार तथा बिना गलती किए 
  3. शुद्धता (Accuracy)– कंप्यूटर अपना कार्य बिना किसी गलती के करता है यदि आपको 8 अंकों की दो अलग-अलग संख्याओं को गुणा करने के लिए कहा जाए तो आप इसमें कई बार गलती करेंगे लेकिन साधारणः  सभी कंप्यूटर किसी भी काम को बिना किसी गलती के पूर्ण करते हैं यदि कंप्यूटर में डाले जाने वाले डेटा तथा निर्देश बिल्कुल शुद्ध हैं तो कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले आउटपुट भी पूरी तरह से  सही होंगे। 
  4. सार्वभौमिकता ( Versatility) – कंप्यूटर को शुरु में केवल गणित के कार्यों के लिए बनाया गया था। लेकिन इसकी क्षमताओं को देख लोगों ने कंप्यूटर का उपयोग कई तरह के कार्यों में करने लगे हैं जैसे- बैंकिग में, यातायात में, दूर-संचार आदि।
  5. उच्च संग्रह क्षमता  ( high Storage Capacity) – एक कंप्यूटर की डेटा को स्टोर करने की क्षमता बहुत अधिक होती है। कंप्यूटर में किसी भी प्रकार का डेटा स्टोर किया जा सकता है जैसे – इमेज, विडीयो, गाने आदि। कंप्यूटर डेटा को कई वर्षो तक सुरक्षित रख सकता है। 
  6. विश्वसनीयता (Reliability) – कंप्यूटर इंसानो से तेज और इंसानो से ज्यादा शुद्धता से कार्य करता है तथा इसके द्वारा किया गया कोई भी कार्य ज्यादा विश्वसनीय होगा।
  7. परिश्रमता (Diligence) – हम सभी जानते हैं कि कंप्यूटर एक मशीन है तथा वह कितना भी कार्य करे उसे थकावट महसूस नहीं होती क्योंकि वह इंसान नहीं है। यही क्षमता कंप्यूटर को अधिक परिश्रमी बनाती है। 

कंप्यूटर की सीमाएँ (Limitations of Computer)

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। तथा अच्छाई  के साथ बुराई भी जुड़ी होती है और कंप्यूटर भी इसका अपवाद नहीं है। इसकी भी कुछ सीमाएँ हैं, जिनका पालन वह पूरी शुद्धता से नहीं कर पाता-

  1. बुद्धिमत्ता की कमी ( Lack of Intelligence) -बुद्धिमत्ता की कमी से अभिप्राय यह है कि कंप्यूटर खुद से निर्णय लेने में स्वतंत्र नहीं है यूजर जो भी निर्देश इसको देता है यह सिर्फ उसका ही पालन करता है अर्थात जब तक यूजर द्वारा निर्देश नहीं दिए गए हो कंप्यूटर स्वयं कोई कार्य नहीं करता 
  2. आत्म-रक्षा में अक्षम – ( Unable to self Protection) – हमारा कंप्यूटर चाहे कितना भी शक्तिशाली हो जाए पर वह अपनी रक्षा करने में हमेशा असहाय रहता है हम उसके किसी भी पार्ट से छेड़खानी कर सकते हैं तथा उसको जो निर्देश दिये जाएंगे तो वह करता रहेगा चाहे वह गलत हो या सही हो।
  3. निर्णय लेने की क्षमता का आभाव ( Lack of Decision Making Power) – कंप्यूटर एक बुद्धिमान मशीन नहीं है, यह सही या गलत की पहचान नहीं कर पाते हैं, क्योंकि इनमें दिमाग नहीं होता है। वह स्वयं को ओर से कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ होता है। कंप्यूटर सिर्फ मानव द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करता है।

कंप्यूटर के उपयोग

कंप्यूटर बहुत ताकतवर मशीन है। कंप्यूटर का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाने लगा है। जैसे –

  • बैंकिंग में
  • शिक्षा में
  • रक्षा में
  • घरों के कामों में
  • मनोरंजन में
  • खेल में
  • विज्ञान में
  • कला में

आप जिस चीज की कल्पना कर सकते हैं उस चीज में कंप्यूटर का उपयोग होने लगा है।

कंप्यूटर से होने वाले लाभ तथा हानियाँ

हर चीज में अच्छाइयाँ और बुराइयाँ होती है। कंप्यूटर में भी होंगी, पर हम अपने जीवन में कंप्यूटर का इतना अधिक उपयोग कर रहे हैं जिससे लगता हैं इसके लाभ ज्यादा हैं और हानियाँ कम।

लाभ

  • कंप्यूटर मल्टीटास्क कर सकता है। कंप्यूटर के पास क्षमता होती है की वह मल्टीपल ऑपरेशन, संख्यात्मक गणनाएं चुटकियों में कर सकता है।
  • कंप्यूटर मनुष्यों के मुकाबले बहुत ज्यादा गति से काम कर सकता है।
  • कंप्यूटर के काम में शुद्धता होती हैं कंप्यूटर के गलती करने के चांस बहुत कम होते है।
  • कंप्यूटर डिजिटल डाटा के सुरक्षित रखने में मदद करता है।
  • कंप्यूटर संचार में मदद करता है। कंप्यूटर की सहायता से आप दूर बैठे अपने दोस्त से बात कर सकते हैं।
  • कंप्यूटर लोगों के काम का बोझ कम करता है।
  • कंप्यूटर बहुत सारे डाटा को बहुत कम जगह में स्टोर करके रख सकता है।

हानि

  • कंप्यूटर को वायरस तथा हैकिंग के माध्यम से बेकार किया जा सकता है। जिससे हमारा जरूरी डाटा लीक होने का खतरा होता है।
  • लोग कंप्यूटर के सहायता से साइबर अपराध करते हैं। कई बार तो लोगों को इसकी वजह से वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ जाता है।
  • कंप्यूटर के कारण लोगों को रोजगार में कमी हो सकती है क्योंकि कंप्यूटर ऑटोमेटिक तरीके से काम करता है।
  • कंप्यूटर महँगे होते हैं और इनके खराब होने का डर भी होता है।
  • कंप्यूटर आपका काम से ध्यान भटका सकते हैं।

कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer)

कंप्यूटर के अनेकों प्रकार हैं। समझने के दृष्टि से इसे हम तीन आधार पर वर्गीकृत कर लेते हैं।

अनुप्रयोग के आधार पर

  • एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer)
    • उदा. थर्मामीटर
  • डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer)
    • उदा. कैलक्युलेटर (Calculator)
  • हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer)
    • उदा. पैट्रॉल पंप मशीन

उद्देश्य के आधार पर

  • सामान्य उद्देशीय कंप्यूटर (General Purpose Computer)
  • विशिष्ट उद्देशीय कंप्यूटर (Special Purpose Computer)

आकार के आधार पर

  • माइक्रो कंप्यूटर
    • पहने जा सकने वाले कंप्यूटर
  • वर्कस्टेशन
  • मिनी कंप्यूटर
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर
  • सुपर कंप्यूटर

कंप्यूटर का इतिहास

कंप्यूटर का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है जब चीन में एक गणना यंत्र (Calculating Machine) “अबेकस” (Abacus) का आविष्कार हुआ। यह एक मैकेनिकल डिवाइस है जो आज भी चीन, जापान आदि देशों में अंकों की गणना के काम आता है।

कंप्यूटर के इतिहास की एक लंबी कहानी हैं जिसे आप यहाँ से पढ़ सकते हैं। जिसमें कंप्यूटर के जनक चार्ल्स बैबेज और डिफरेंस इंजिन के बारे में भी बताया गया है।

कंप्यूटर का भविष्य (Future of Computer)

कंप्यूटर के इतिहास से अब तक की कहानी आप जानते हैं। आइए कंप्यूटर के भविष्य के बारे में चर्चा करें।

कंप्यूटर को शुरुआत में सिर्फ कैलक्युलेशन करने के लिए तैयार किया गया था लेकिन आज कंप्यूटर कैलक्युलेशन से कई ज्यादा काम कर सकता है। हमारे देश की पूरी अर्थव्यवस्था कंप्यूटर पर टिकी है।

80 के दशक से लेकर अब तक के कंप्यूटर बाइनरी सिस्टम पर काम करते हैं। यह सारे क्लासिक कंप्यूटर कहलाते हैं। पर भविष्य क्लासिक कंप्यूटर का नहीं है।

हमारे वैज्ञानिक बहुत मेहनत कर रहे हैं क्वांटम कंप्यूटर (Quantum Computer) को बनाने के लिए। यह भविष्य का कंप्यूटर होगा जो बाइनरी सिस्टम से हटकर क्यूबिट (qubit) सिस्टम पर काम करेगा। कई कंपनियों द्वारा क्वांटम कंप्यूटर बना लिया गया है जो अभी शुरुआती स्टेज़ पर है। यह शुरुआती स्टेज का क्वांटम कंप्यूटर भी दुनिया के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर से 10 करोड़ गुना तेज है। यानी आप अंदाजा लगा सकते हैं की भविष्य में आने वाले क्वांटम कंप्यूटर कितने तेज होंगे।

क्वांटम कंप्यूटर (Quantum Computer)

क्वांटम कंप्यूटर के साथ-साथ भविष्य के कंप्यूटर AI द्वारा संचालित होंगे। AI यानी Artificial intelligence, सरल शब्दों में कहा जाए तो कंप्यूटर के पास खुद का दिमाग होगा जो स्वयं अपने निर्णय ले सकेगा।

Artificial intelligence

कंप्यूटर के पास खुद से सोचने समझने की क्षमता होगी। अभी भी क्लासिक कंप्यूटर कुछ हद तक खुद से निर्णय ले सकते हैं।

यह कहा जा सकता है की कंप्यूटर का भविष्य चमत्कारी नवाचार (Innovation) से भरा होगा।

सामान्य प्रश्न

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था ?

चार्ल्स बैबेज जिन्हें कंप्यूटर का जनक भी कहा जाता है।

कंप्यूटर का पूरा नाम क्या है ?

कंप्यूटर का फुल फॉर्म COMPUTER – Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Educational Research

भारत का पहला कंप्यूटर का नाम क्या है ?

भारत के पहले कंप्यूटर का नाम Tata Institute of Fundamental Research Automatic Calculator

भारत का पहला डिजिटल कंप्यूटर का नाम क्या है ?

एक ब्रिटिश निर्मित HEC 2M कंप्यूटर, भारत में पहला डिजिटल कंप्यूटर हुआ, जिसे 1955 के दौरान भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में आयात और स्थापित किया गया था।

दुनिया के पहले डिजिटल कंप्यूटर का नाम क्या है ?

ENIAC, in full Electronic Numerical Integrator and Computer

क्लासिक कंप्यूटर क्या होते हैं ?

बाइनरी सिस्टम (0 और 1) आधारित कंप्यूटर को क्लासिक कंप्यूटर कहते हैं।

डिजिटल कंप्यूटर क्या है?

डिजिट (Digit) का अर्थ है अंक। अतः वे कंप्यूटर जो अंकों की गणना करते हैं, डिजिटल कंप्यूटर कहलाते हैं। डिजिटल कंप्यूटर बाइनरी सिस्टम (0 और 1) आधारित होते है।

कंप्यूटर को हिन्दी भाषा में क्या कहते हैं ?

कंप्यूटर को हिन्दी में “संगणक” कहते हैं।

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3 टिप्पणी

  1. मैं आपकी वेबसाइट को बहुत ही ज्यादा पसंद करता हूं, ऐसी वेबसाइट किसी की नहीं मिली अभी तक। और आपके ऑर्टिकल पढ़ने के बाद मैंने भीं ब्लॉग लिखाना शुरू किया हैं, क्या आप मेरी वेबसाइट देख कर बता सकते हैं। क्या मैं सही काम कर रहा हूं प्लीज़ मेरी मदद करें।

    Display Attraction

  2. कंप्‍यूटर के बारे बेहतरीन जानकारी दी गई हैं जिसको को पढ़ने के बाद कंप्‍यूटर के बारे अच्‍दे से जाकनारी को प्राप्‍त किया जा सकता हैं। धन्‍यवाद

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