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प्रोसेसर – Processor (CPU)

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यदि आप टेक्नोलॉजी में ज़रा भी रुची रखते हैं तो आपने कभी ना कभी प्रोसेसर शब्द जरूर सुना होगा। प्रोसेसर क्या होता है? किस काम आता है? आइए विस्तार से जानते हैं।

प्रोसेसर क्या है

प्रोसेसर या सी.पी.यू (CPU) किसी भी कंप्यूटर में लगी एक मुख्य चिप होती है जो कंप्यूटर को दिए गए निर्देशों को पूरा करने के लिए उत्तरदायी होती है। इस चिप को ही प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर कहा जाता है।

प्रोसेसर को कंप्यूटर का दिमाग भी कहा जाता है क्योंकि कंप्यूटर के सारे काम प्रोसेसर द्वारा ही पूरे किए जाते हैं।

कोई भी कंप्यूटर इनपुट डिवाइस के माध्यम से निर्देश लेता है, प्रोसेसर के माध्यम से उस निर्देश को क्रियान्वित (Execute) करता है, तथा आउटपुट डिवाइस जैसे मॉनीटर, स्पीकर के माध्यम से निर्देश के नतीजे को यूजर तक पहुँचाता है।

उदाहरण के लिए – हम कीबोर्ड के माध्यम से कंप्यूटर को 2+2 जोड़ने का निर्देश देते हैं, कंप्यूटर उस समस्या (2+2) को सी.पी.यू यानी प्रोसेसर के माध्यम से हल करता है और प्राप्त जवाब 4 को मॉनीटर के माध्यम से यूजर को बता देता है। कुछ इस तरीके से एक प्रोसेसर काम करता है।

एक प्रोसेसर अंकगणितीय (Arithmetical), तार्किक (Logical), तथा इनपुट/आउटपुट (Input/Output) जैसे सामान्य कार्य करने में सक्षम होता है।

सीपीयू / प्रोसेसर के भाग

सीपीयू को तीन भागों में बांटा जा सकता है।

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  • कंट्रोल यूनिट – सी.यू (Control Unit – CU)
  • अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट – ए.एल.यू. (Arithmetic & Logic Unit – ALU)
  • मेमोरी यूनिट (Memory Unit – MU)

कंट्रोल यूनिट – सी.यू (Control Unit – CU)

कंट्रोल यूनिट हार्डवेयर की क्रियाओं को नियंत्रित और संचालित करता है। यह इनपुट आउटपुट क्रियाओं को नियंत्रित करता है, साथ ही मेमोरी और ALU के मध्य डाटा के आदान-प्रदान को निर्देशित करता है। यह प्रोग्राम को क्रियान्वित करने के लिए निर्देशों को मेमोरी से प्राप्त करता है। इंस्ट्रक्शन को इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स (electrical signals) में परिवर्तित करके यह उचित डिवाइस तक पहुँचाता है। जिससे डाटा प्रक्रिया का कार्य संपन्न हो जाए।

अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट – ए.एल.यू. (Arithmetic & Logic Unit – ALU)

यह यूनिट डाटा पर अंकगणितीय क्रियायें (जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग) और तार्किक क्रियाएं (Logical Operations) करती हैं। ALU, कंट्रोल यूनिट से इंस्ट्रक्शन लेता है। यह मेमोरी से डाटा को प्राप्त करता है तथा प्रोसेसिंग के पश्चात सूचना को मेमोरी में लौटा देता है। ALU के कार्य करने करने की गति इतनी अधिक होती है की यह लगभग 1000000 गणनाएं प्रति सैकेण्ड की गति से कर सकता है।

इसमें कई रजिस्टर और एक्युमुलेटर (Accumulator) होते हैं जो गणनाओं के दौरान Intermediate रिजल्ट को स्टोर करते हैं। ALU प्रोग्राम के आधार पर कंट्रोल यूनिट के बताये अनुसार सभी डाटा मेमोरी से प्राप्त करके एक्युमुलेटर (Accumulator) में रख लेता है।

उदाहरण, माना A और B दो संख्याओं को जोड़ना है। कंट्रोल यूनिट A को मेमोरी से प्राप्त कर ALU में पहुँचाती है। अब यह B काम मान मेमोरी से चुनकर ALU में स्थित A में जोड़ती है। परिणाम मेमोरी में सेव हो जाता है।

मेमोरी यूनिट (Memory Unit – MU)

मेमोरी यूनिट, निर्देशों और परिणामों के आउटपुट को स्टोर करके रखती है। यह कंप्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है, जहाँ डाटा तथा प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान स्थित रहते हैं। और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत उपलब्ध होते हैं। कंप्यूटर की मेमोरी सेल या लोकेशन में विभाजित होती है। प्रत्येक सेल का अपना एक एड्रेस होता है जिसके द्वारा उसे रिफर (Refer) किया जाता है।

यहाँ तक हमने जान लिया प्रोसेसर क्या होता है, इसके कौन-कौन से भाग होते हैं। क्या आपको पता है प्रोसेसर बनता कैसे है ?

प्रोसेसर कैसे बनता है

एक माइक्रोप्रोसेसर बनाना बहुत ही जटिल कार्य होता है इसे हर कोई नहीं कर सकता। इसलिए आपने ज्यादातर केवल दो ही कंपनियों के प्रोसेसर देखे होंगे इंटेल और ए.एम.डी।

एक माइक्रोप्रोसेसर बनाने के लिए हमे सबसे पहले जिस चीज की जरूरत पड़ती है वो है रेत। सिलिका रेत

सिलिका रेत से सिलिकॉन मटेरियल निकालकर उसकी एक चिप बनाने तक की लंबी प्रक्रिया होती है जिसे आप “एक कंप्यूटर प्रोसेसर कैसे बनता है” पोस्ट पर पढ़ सकते हैं।

सीपीयू कोर (CPU Core)

जब आप सीपीयू के बारे में सुनते होंगे तो आपने “कोर” शब्द के बारे में भी सुना होगा जैसे डुअल कोर, क्वाड कोर, हेक्सा कोर, ओक्टा कोर या मल्टी कोर सीपीयू। तो आखिर यह “कोर” होता क्या है ?

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जब हम प्रोसेसर या सीपीयू की बात कर रहे होते हैं तो हम उस पूरे पैकेज की बात करते हैं जिसमें बहुत सारे कोर समाए होते हैं।

कोर सीपीयू की प्रोसेसिंग क्षमता (Processing Capability) को दर्शाता है इसका मतलब यह हुआ कि ज्यादा कोर मतलब ज्यादा तेजी से काम करने की ताकत या क्षमता।

पुराने समय में एक सीपीयू के अंदर एक ही कोर होता था। समय के साथ तकनीक में आते सुधारो से सीपीयू को और ताकतवर बनाने पर कार्य किया गया। सी.पी.यू में एक से अधिक कोर को स्थापित किया जाने लगा ताकि सीपीयू की प्रोसेसिंग क्षमता को बढ़ाया जा सके।

समझने की दृष्टि से हम यह मान सकते हैं की कोर सीपीयू का छोटा दिमाग होता है और हमारे सीपीयू के पास जितने ज्यादा दिमाग होंगे वह उतना ही ताकतवर और उतने ही जल्दी किसी समस्या को हल कर सकता है।

एक प्रोसेसर के चित्र में 2 कोर दर्शाए गए हैं।
एक प्रोसेसर में 2 कोर दर्शाए गए हैं।

आशा है कोर क्या होता है आप समझ गए होंगे। अब यह समझना है की डुअल कोर या क्वाड कोर क्या होता है ?

एक सीपीयू के अंदर कितने कोर होंगे यह उसके नाम को दर्शाता है जैसे डुअल कोर सीपीयू के अंदर आपको 2 कोर मिलेंगे और क्वाड कोर सीपीयू के अंदर आपको 4 कोर मिलेंगे।

मुख्य बात यह है कि किसी भी सी.पी.यू के अंदर कोर भौतिक रूप से विभाजित या अलग-अलग होते हैं।

कोर के आधार पर प्रोसेसर के प्रकार

सिंगल कोर प्रोसेसरजिस प्रोसेसर के अंदर केवल 1 ही कोर हो उसे सिंगल कोर प्रोसेसर कहा जाता है।
डुअल कोर प्रोसेसरजिस प्रोसेसर के अंदर 2 कोर हों उसे डुअल कोर प्रोसेसर कहा जाता है।
क्वाड कोर प्रोसेसरजिस प्रोसेसर के अंदर 4 कोर हों उसे क्वाड कोर प्रोसेसर कहा जाता है।
हेक्सा कोर प्रोसेसरजिस प्रोसेसर के अंदर 6 कोर हों उसे हेक्सा कोर प्रोसेसर कहा जाता है।
ओक्टा कोर प्रोसेसरजिस प्रोसेसर क अंदर 8 कोर हों उसे ओक्टा कोर प्रोसेसर कहा जाता है।

थ्रेड – (Thread)

यदि आप कोर (core) को समझ चुके हैं तो थ्रेड भी आपको बड़ी आसानी से समझ आ जाएगा।
सामान्य रूप से देखा जाए तो कोर के वर्चुअल स्वरूप को ही हम थ्रेड कहते हैं।

हम थोड़ा इतिहास को देख लेते हैं जब एक सीपीयू में एक ही कोर होता था। इस स्थिति में यूजर एक समय पर केवल एक ही कार्य कर पाता था। यदि यूजर एक से ज्यादा काम एक ही समय पर करने की कोशिश करता था तो उसका कंप्यूटर हैंग होने लगता था। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि कंप्यूटर एक समय पर एक ही काम करने में सक्षम था लेकिन यूजर उस कंप्यूटर पर जोर डालकर उससे एक ही समय पर ज्यादा काम निकलवाने कि कोशिश करता था।

तकनीक में सुधार आया और यूजर्स को एक समय पर एक से ज्यादा काम करने की जरूरत महसूस होने लगी। इस समस्या को देखते हुए कोर का निर्माण किया गया जो एक भौतिक चिप के रूप में प्रोसेसर के अंदर दिया जाने लगा।

मल्टीटास्किंग की तेजी से बढ़ती जरूरत को देखते हुए एक प्रोसेसर के अंदर भौतिक रूप से कोर लगाना आसान नहीं था तो इंटेल ने एक तकनीक का अविष्कार किया जिसे कंपनी ने हाइपर थ्रेडिंग नाम दिया जिसके तहत OS (operating system) एक कोर को दोर कोर के रूप में देखने लगता है। जिससे एक कोर एक ही समय पर दो कार्य करने के लिए सक्षम हो जाता है।

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AMD ने इसी तकनीक को simultaneous multithreading के नाम से प्रस्तुत किया।

तो यह कहा जा सकता है की थ्रेड कुछ और नहीं बल्की कोर का वर्चुअल रूप होता है।

पर थ्रेड काम कैसे करता है? आइए विस्तार से जानते हैं।

जब हम कंप्यूटर पर कोई काम करते हैें उस काम को करने का निर्देश OS द्वारा प्रोसेसर को दिया जाता है। जब तक प्रोसेसर एक काम खत्म नहीं कर देता os उसे अगला काम नहीं देता है। इस तरीके से प्रोसेसर एक के बाद एक काम करता जाता है और os उसे एक के बाद एक काम देता रहता है। दिक्कत तब होने लगती है जब प्रोसेसर का एक कोर एक काम करने में व्यस्त होता है और os के पास बहुत सारे काम प्रोसेसर से कराने के लिए पेंडिंग (Pending) पड़े होते हैं। ऐसी स्थिति में हाइपर थ्रेंडिंग तकनीक एक्टिवेट हो जाती है जिससे os को यह बताया जाता है की सीपीयू के पास एक अतिरिक्त कोर है जिसे os काम सौंप सकता है और os की नजरों में एक भौतिक (Physical) कोर अपने आप को दो कोर की तरह प्रस्तुत करने लगता है। जिससे os 1 कोर को एक साथ 2 काम देने लगता है। os को लगता है की काम देने के लिए अभी एक कोर और बाकी है।

आइए उदाहरण के साथ समझते हैं।

मान लीजिए मेरा नाम “सीपीयू” है और मेरा काम नदी में पत्थर फेंकना है। मेरा एक दोस्त है जिसका नाम है OS और वह अंधा है। मैं और मेरा दोस्त मिलकर नदीं में पत्थर फेंकने का काम करते हैं। मेरा दोस्त os मुझे पत्थर (Task) लाकर देता है और मैं उस पत्थर को नदी (Output) में फैक देता हूँ। मेरे दोस्त os को लगता है मेरे पास एक हाथ है इसलिए वह मुझे एक समय पर एक ही पत्थर देता है और जब मैं उस पत्थर को नहीं में फैक देता हूँ तब मेरा दोस्त मुझे दूसरा पत्थर देता है।

एक समय मैं देखता हूँ की os के हाथों में तो बहुत सारे पत्थर हैं जिसे वह मुझेसे नदी में फिकवाना चाहता है तब मैं उसे बताता हूँ की दोस्त मेरे पास दो हाथ (थ्रेड) हैं तो तुम मुझे एक साथ दो पत्थर तमा सकते हो और मैं दोनो पत्थरों को एक साथ नदीं में फैक सकता हूँ। तब मेरा दोस्त os मुझे एक साथ दो पत्थर देने लगता है और मैं उन दोनो पत्थरों को एक साथ नदी में फैक देता हूँ।

ऊपर बताए गए उदाहरण के अनुसार आप समझ गए होंगे की मैं सीपीयू यानी central processing unit हूँ। मेरा दोस्त os (operating system) है। पत्थर को आप टास्क (Task) समझ सकते हैं। मेरे हाथों को आप थ्रेड (Threads) मान सकते हैं और नदीं को आप आउटपुट डिवाइस मान सकते हैं। इससे आपको पूरा उदाहरण अच्छे से समझ आ जाएगा।

कोर और थ्रेड के बीच मुख्य अंतर भौतिक रूप (physical form) का होता है। कोर भौतिक रूप में प्रोसेसर के अंदर उपस्थित होते हैं जबकि थ्रेड एक प्रोग्राम के जरिए वर्चुअल (आभासी) रूप में होता है।

अभी तक हम बहुत अच्छे तरीके से जान चुके हैं कि एक प्रोसेसर में कोर और थ्रेड क्या होता है। मुख्य रूप से इन दोनों का काम प्रोसेसिंग स्पीड और क्षमता को बढ़ाना है।

प्रोसेसिंग स्पीड (Processing Speed)

कोई प्रोसेसर कितना सक्षम है या किसी काम के लिए कितना उपयोगी है इस बात का पता लगाने के लिए सामान्य तौर पर उसकी स्पीड को देखा जाता है। उसकी स्पीड से अंदाजा लगाते हैं की कोई प्रोसेसर उन्हें खरीदना चाहिए या नहीं।

प्रोसेसर की स्पीड कैसे देखते हैं? किसी प्रोसेसर में कितनी स्पीड होनी चाहिए? एक अच्छे प्रोसेसर की स्पीड क्या होती है? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब।

स्पीड (गति), जिस तरह हम किसी कार की स्पीड को “किलोमीटर प्रति घंटा (kmph)” की दर में मापते हैं उसी तरह प्रोसेसर की गति को हम MHz (मेगाहर्ट्ज़) या GHz (गेगाहर्ट्ज़) में मापते हैं।

जब हम कार की स्पीड की बात कर रहे होते हैं तब हम किसी दूरी को कितने समय में तय किया जा सकता है इस संदर्भ में बात करते हैं। लेकिन जब हम प्रोसेसर की स्पीड की बात करते हैं तो उस समय हम क्लॉक स्पीड की बात कर रहे होते हैं।

जैसे कोई कार 1 घंटे में कितनी दूरी तय कर पाती है इससे हम कार की स्पीड तय करते हैं इसी तरह कोई प्रोसेसर 1 सेकंड में कितने क्लॉक साइकिल पूरा कर पाता है उससे हम उस प्रोसेसर की स्पीड को तय करते हैं।

1 Hertz का मतलब होता है 1 सेकंड में प्रोसेसर ने एक साइकिल पूरा किया। आपके मन में जरूर सवाल आया होगा की यह क्लॉक साइकिल या साइकिल क्या होता है?

क्लॉक साइकिल (Clock Cycle)

प्रोसेसर के संदर्भ में क्लॉक साइकिल उस समय को कहा जाता है जब एक प्रोसेसर किसी सूचना को रैम तथा अन्य डिवाइस से लेकर आता है। सूचना तक जाने तथा उसे लेकर आने में लगने वाले समय को एक क्लॉक साइकिल कहा जाता है। क्लॉक साइकिल की स्पीड को “क्लॉक रेट (clock rate)” या “फ्रीक्वेंसी (frequency)” के नाम से भी जाना जाता है।

कोई प्रोसेसर एक सेकंड में कितने क्लॉक साइकिल पूरा करता है उसे उतना तेज माना जाता है।

1 Hertz (हर्ट्ज़) = 1 साइकिल प्रति सेकंड (1 Cycle per second)

1 MHz (मेगाहर्ट्ज़) = 1 मिलियन साइकिल प्रति सेकंड ( 1 Million cycles per second)

1 GHz (गेगाहर्ट्ज़) = 1 बिलियन साइकिल प्रति सेकंड (1 Billion cycles per second)

आशा है आप प्रोसेसर तथा इसकी स्पीड के बार में थोड़ा बहुत समझ गए होंगे।

कंप्यूटर में प्रोसेसर की स्पीड कैसे देखते हैं ?

अपने कंप्यूटर में लगे प्रोसेसर की स्पीड देखने के लिए आप विंडोज आइकॉन या स्टार्ट मेनू पर क्लिक करें उसके बाद सर्च बार में टाइप करें “System Information” और Ok कर दें आपके सामने आपके कंप्यूटर सिस्टम की सारी जानकारी आ जाएगी। प्रोसेसर के सामने लिखित जानकारी में प्रोसेसर का नाम तथा उसकी स्पीड के बारे में बताया गया होगा।

विंडोज कंप्यूटर में कैसे प्रोसेसर की स्पीड देखते हैं ?
सिस्टम के बारे में जानकारी

क्या प्रोसेसर की क्लॉक स्पीड देखकर ही उसकी क्षमता तथा उसकी स्पीड के बारे में पता लगाया जा सकता है?

नहीं, केवल क्लॉक स्पीड किसी प्रोसेसर के बारे में संपूर्ण कहानी नहीं दर्शाता। यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि जिस प्रोसेसर की क्लॉक स्पीड अधिक होगी वही सबसे तेज प्रोसेसर होगा। इसमें बहुत से अन्य फ़ैक्टर भी शामिल होते हैं जैसे थ्रेड, कोर, प्रोसेसर का आर्किटेक्चर, केश मेमोरी, AI इंजन, प्रति साइकिल निर्देश (instructions per cycle) और भी बहुत कुछ।

प्रोसेसर के घटक (Components of Processor)

प्रोसेसर/सीपीयू के मुख्य रूप से 6 घटक (Components) हैं।

ऊपर बताए गए कंपोनेंट्स में से आप कंट्रोल यूनिट, अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट, और क्लॉक के बारे में थोड़ा जान चुके हैं।

सभी कंपोनेंस्ट्स साथ में मिलकर काम करते हैं ताकि कंप्यूटर सिस्टम सुचारु रूप से काम कर सके।

सीपीयू के घटक के काम करने की प्रक्रिया

कंट्रोल यूनिट (Control Unit)

कंट्रोल यूनिट के मुख्य रूप से निम्न कार्य होते हैं –

  • निर्देशों को fetche (मेमोरी से डेटा पुनर्प्राप्त करना), decode (निर्देश को डीकोड करना), और execute (निर्देश का निष्पादन करना) को क्रियांवित करना।
  • यह नियंत्रण संकेत (Control Signal) जारी करता है जो हार्डवेयर को नियंत्रित करता है।
  • यह सिस्टम में डाटा के फ्लो को नियंत्रित करता है।

अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic & Logic Unit – ALU)

ALU मुख्य रूप से 2 काम करता है –

  • यह अंकगणितीय और तार्किक क्रियाएं (निर्णय) करता है। ALU वह जगह है जहां गणना की जाती है और उन गणनाओं के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं।
  • यह प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी स्टोरेज के बीच गेटवे का काम करता है। उनके बीच ट्रांसफर किया गया डेटा ALU से होकर गुजरता है।

रजिस्टर्स – Registers

रजिस्टर सीपीयू के भीतर निहित हाई-स्पीड मेमोरी है जो बहुत ही छोटी मात्रा में डाटा को स्टोर कर सकती है। सामान्य तौर पर प्रोसेसिंग (Processing) के दौरान आवश्यक डेटा को स्टोर करने के लिए प्रोसेसर द्वारा इनका उपयोग किया जाता है। जैसे –

  • एग्जीक्यूट (Execute) होने वाले अगले निर्देश (instruction) का पता।
  • वर्तमान निर्देश जो डीकोड किया जा रहा है।
  • गणना के परिणाम

अलग-अलग प्रोसेसर में अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग संख्या में रजिस्टर होते हैं, लेकिन अधिकांश में निम्नलिखित में से कुछ या सभी होते हैं-

  • प्रोग्राम काउंटर (Program Counter)
  • मेमोरी एड्रेस रजिस्टर (Memory Address Register) MAR
  • मेमोरी डाटा रजिस्टर (Memory Datat REgister )MDR
  • करंट इंस्ट्रक्शन रजिस्टर (Current Instruction Register) CIR
  • अक्सुमुलेटर (Accumulator) ACC

कैश – Cache

कैश बहुत छोटी मात्रा की ‎रैंडम एक्सेस मेमोरी है जो प्रोसेसर के अंदर पहले से निहित होती है। इसका उपयोग प्रोसेसर द्वारा उस डाटा और निर्देशों को टेम्परेरी रूप से स्टोर करने के लिए किया जाता है जिसका पुनः उपयोग हो सकता है। इस तरह से किसी भी क्रिया को तेजी से पूरा किया जा सकता है क्योंकि प्रोसेसर को डाटा और निर्देश के लिए हर बार रैम के पास नहीं जाना पडे़गा।

बस – Bus

बस एक उच्च गति वाला आंतरिक (internal) कनेक्शन है। प्रोसेसर और अन्य घटकों (components) के बीच केट्रोल सिग्नल और डेटा भेजने के लिए बसों का उपयोग किया जाता है।

निम्न तीन तरह के बस का उपयोग किया जाता है –

  • एड्रेस बस (Address bus) – मेमोरी एड्रेस को प्रोसेसर से दूसरे कंपोनेंट्स जैसे प्राइमरी मेमोरी और इनपुट डिवाइस/आउटपुट डिवाइस में ले जाता है।
  • डाटा बस (Data bus) – प्रोसेसर और अन्य कंपोनेंट्स के बीच वास्तविक रूप से डेटा को लाता और ले जाता है।
  • कंट्रोल बस (Control bus) – कंट्रोल बस कंट्रोल सिगनल को प्रोसेसर से अन्य कंपोनेंट्स तक ले जाता है। कंट्रोल बस क्लॉक पल्स को भी ले जाता है।

क्लॉक

क्लॉक के बारे में आप पहले पढ़ चुके हैं। क्लॉक पल्स (Clock Pulse)
एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के ऑपरेशन को सिंक्रनाइज़ करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सिग्नल।

क्लॉक पल्स

पल्स की फ्रीक्वेंसी को क्लॉक स्पीड के नाम से जाना जाता है। क्लॉक की स्पीड को हर्ट्ज़ में मापा जाता है।

फ्रीक्वेंसी जितनी अधिक होगी, एक निश्चित समय में उतने अधिक निर्देश निष्पादित किए जा सकते हैं।

प्रोसेसर कैसे काम करता है (प्रोसेसर के कार्य) – Functions Of Processor

किसी भी कंप्यूटर का सारा कार-भार एक प्रोसेसर ही संभालता है। समझने की दृष्टि से कह सकते हैं एक प्रोसेसर मुख्य रूप से चार काम करता है, फैच, डीकोड, एग्जीक्यूट, और स्टोर।

फैच (Fetch) – Fetch वह क्रिया है जिसमें प्रोसेसर सिस्टम RAM से प्रोग्राम के निर्देश प्राप्त करता है।

डीकोड (Decode) – प्रोसेसर प्रोग्रामिंग के निर्देशों को बाइनरी कोड में भी डिकोड करता है ताकि वह उन्हें समझ सके। CPU इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए ALU का उपयोग करता है।

एग्जीक्यूट (Execute) – अंत में, डिकोड किए गए निर्देशों को निष्पादित किया जाता है। अंत में, कंप्यूटर को निष्पादन चरण के दौरान निर्देश को पूरा करना होता है।

इसमें कई चीजें हो सकती हैं, जिसमें मेमोरी से डेटा लोड करना, मेमोरी में डेटा स्टोर करना या गणना करना शामिल है।

स्टोर (Store) – जिसके बाद, उन्हें CPU रजिस्टर में आउटपुट के रूप में स्टोर किया जाता है ताकि बाद में निर्देश उन्हें संदर्भ के रूप में इस्तेमाल कर सकें।

इसके बाद, उपयोगकर्ता के निर्देशों के अनुसार, इसे या तो आउटपुट डिवाइस को दिया जाता है, या इसे कंप्यूटर सिस्टम पर स्टोर किया जाता है, या सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस पर भी स्टोर किया जा सकता है।

प्रोसेसर का इतिहास – History Of Processor

इंटेल कॉरपोरेशन ने सबसे पहले माइक्रोप्रोसेसर को बाजार में उतारा था। इसके सबसे पहले माइक्रोप्रोसेसर 4004 का बाजार में परिचय कैलकुलेटर चिप सेट के निर्माण के दौरान सन् 1971 में हुआ। माइक्रोप्रोसेसर 4004 कैलकुलेटर चिप सेट का क्रेंद्रीय पुर्जा था, जिसका नाम MCS-4 रखा गया।

4004 के विकास के उपरांत, तीन और अन्य माइक्रोप्रोसेसर्स का विकास हुआ। इनके नाम राकेट इंटरनेशनल 4 – बिट, इंटेल 8-बिट, और नेशनल सेमीकंडक्टर 16-बिट थे। ये सभ माइक्रोप्रोसेसर्स सामान्य कंप्यूटर के लिए विकसित किये गये थे। सन् 1971 तथा 1973 के मध्य में जिन माइक्रोप्रोसेसर का विकास हुआ उन्हें प्रथम पीढ़ी का प्रोसेसर कहा जाता है। ये मेटल ऑक्साइड सेमीकन्डक्टर तकनीक पर आधारित थे।

माइक्रोप्रोसेसर की दूसरी पीढ़ी का प्रारंभ सन् 1973 के बाद हुआ। इसके प्रयोग टेक्नोलॉजी mos पर आधारित उत्पादों में मोटोरोला 6800, मोटोरोला 6809 तथा इंटेल 8085 मुख्य थे। दूसरी पीढ़ी 1978 तक चली।

तीसरी पीढ़ी के मुख्य प्रॉडक्ट इंटेल 8086, 80186, 80286 तथा मोटोरोला 68000 तथा 68010 थे। ये सभी प्रोसेसरर्स 16 बिट निर्मित थे तथा इनमें उच्च घनत्व mos टेक्नोलॉजी प्रयोग की गयी।

चतुर्थ पीढ़ी सन् 1980 के मध्य में शुरू हुई तथा इसमें 32 बिट प्रोसेसर का बाजार में आगमन हुआ। इस पीढ़ी के मुख्य प्रॉडक्ट में इंटेल 80386, 80486, मोटोरोला mc 68020, 68030 तथा 68040 हैं। इन प्रोसेसरों में कैश मेमोरी का भी प्रयोग किया गया। 32 बिट प्रोसेसर के बाद मोटोरोला तथा इंटेल ने 32-बिट RISC ( Reduced Instruction Set of Computer ) वाले कंप्यूटर विकसित किए जिन्हें मोटोरोला 88100 तथा 80960 के नाम से जाना जाता है। माइक्रोप्रोसेसर का विकास दिन-प्रतिदिन किया जा रहा है।

कंप्यूटर में प्रोसेसर का जानकारी कैसे देखें ?

कंप्यूटर में प्रोसेसर की जानकारी प्राप्त करें।

स्टार्ट मेनू पर क्लिक करें और सर्च बार में टाइप करें ” system information” इसके बाद इंटर बटन दबा दें। आपके सामने आपके सिस्टम की जारी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। आप चाहें तो File Explorer के अंदर This PC पर राइट क्लिक करके Properties विकल्प चुन कर भी प्रोसेसर या कंप्यूटर संबंधी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

एक अच्छे प्रोसेसर में कितनी स्पीड होनी चाहिए?

इस समय एक अच्छा प्रोसेसर कम से कम डुअल कोर और 2.5GHz क्लॉक स्पीड का होना चाहिए। प्रोसेसर कैसा हो यह मुख्य रूप से आपके काम पर निर्भर करता है।

प्रोसेसर में जनरेशन क्या होती हैं ?

जब एक प्रोसेसर को लॉंच किया जाता है उसके बाद भी उसमें सुधार कि गुंजाइस होती है। जब उन प्रोसेसर में थोडे़ बहुत सुधार के बाद अपडेटेड वर्शन निकाला जाता है उस नयी जनरेशन में जोड़ा जाता है। जनरेशन कुछ और नहीं पुराने को थोड़े बहुत सुधार के साथ पेश किया जाता है जिसे नयी जनरेशन का नाम दे दिया जाता है।

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