प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2 अगस्त 2021 को ई-रुपी (e-RUPI) नाम से डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म (Digital Payment Platform) लाँच किया गया है। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम है।
ई-रुपी क्या है, इसके क्या क्या फायदे हैं, आइए विस्तार से चर्चा करते हैं।
ई-रुपी क्या है (What is e-RUPI)
ई-रुपी एक व्यक्ति विशिष्ट (Individual specific) साथ ही उद्देश्य विशिष्ट (Purpose specific) डिजिटल वाउचर है जो क्यूआर कोड या एसएमएस के रूप में लाभार्थी के फोन पर प्राप्त होता है। यह एक प्रीपेड वाउचर होता है।
ई-रुपी के माध्यम से वहाँ भुगतान किया जा सकता हैं जो इसे स्वीकार करता हो, ई-रुपी वाउचर को किसी और को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। ई-रुपी उपयोग केवल वही व्यक्ति कर सकता है और उसी उद्देश्य के लिए कर सकता है जिसके लिए ई-रुपी वाउचर बनाया गया हो।
भारत सरकार ने ई-रुपी को लाँच करते वक्त इसे समझने के लिए एक वीडियो भी जारी किया था। आइए देखते हैं।
ई-रुपी कैसे काम करता है, आइए उदाहरण से समझते हैं।
मान लीजिए सरकार एक योजना बनाती है जिसमें वह चाहती है की गरीबी रेखा के अंतर्गत आने वाले सभी व्यक्तियों को ₹500 मूल्य के चावल फ्री प्रदान किए जाएं।
अभी तक सरकार बैंक के माध्यम से जरूरतमंद व्यक्तियों तक ₹500 पहुँचाने का काम करती थी जिसमें कई बार पैसे उचित व्यक्ति तक नहीं पहुँचते थे तो कई बार कम पैसे पहुँचते थे। लोगों का कहना था की सरकारी कर्मचारी सरकारी योजना का लाभ देने के बदले लोगों से रिश्वत लेते हैं।
रिश्वत जैसी समस्याओं से बचने के लिए ई-रुपी को विकसित किया गया है।
अब सरकार ₹500 मूल्य का ई-रुपी वाउचर क्यूआर या एसएमएस के माध्यम से उन व्यक्तियों तक भेज देगी जो इसके हकदार हैं। उदाहरण के तौर पर गरीबी रेखा के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति।
सरकार द्वारा तय संस्थानों पर आप उस ई-रुपी को भुना सकते हैं जो ई-रुपी को स्वीकार करेगा और बदले में व्यक्ति को चावल प्रदान करेगा।
इस ई-रुपी को व्यक्ति किसी और को ट्रांसफर या बेच नहीं सकता है। ई-रुपी का उपयोग केवल उसी काम के लिए किया जा सकता है जिस काम के लिए ई-रुपी का निर्माण किया गया है। उदाहरण के अनुसार चावल खरीदने के लिए। और ई-रुपी का केवल वही व्यक्ति इस्तेमाल कर सकता है जिस व्यक्ति को वह ई-रुपी वाउचर भेजा गया है।
क्या ई-रुपी सेवा का लाभ उठाने के लिए आपके पास बैंक खाता होना चाहिए ?
जी नहीं, ई-रुपी सेवा का लाभ लेने के लिए किसी भी प्रकार का बैंक खाता होना अनिवार्य नहीं है। इसके बजाए आपके पास एक फोन (फीचर फोन या स्मार्ट फोन) का होना अनिवार्य है जिस पर आपको ई-रुपी प्राप्त होगा।
ई-रुपी को क्यों बनाया गया है
जब हमारे पास UPI जैसा डिजिटल पेमेंट सिस्टम है तो फिर ई-रुपी को क्यों बनाया है ?
जी हाँ, UPI एक बहुत अच्छा पेमेंट सिस्टम है पर इसे हर कोई उपयोग नहीं कर पाता, खास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अभी भी UPI जैसे प्लेट फॉर्म से परिचित नहीं है।
UPI के साथ समस्या यह भी है की इसमें उपयोगकर्ता के पास एक स्मार्टफोन जिसमें इंटरनेट हो, बैंक खाता और डेविट (ATM Card) कार्ड होना ही चाहिए तभी वह UPI का उपयोग कर सकते हैं।
ई-रुपी मुख्य रूप से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के लिए बनाया गया है ताकि सरकारी सेवाओं का लाभ जरूरतमंद व्यक्तियों तक पहुँच सके और लोगों को रिश्वतखोरी जैसी समस्याओं का सामना ना करना पड़े।
अभी सरकार किसी भी योजना का लाभ देने के लिए व्यक्तियों के खाते मैं पैसे डालती थी। पर समस्या यह थी की सरकार के पास कोई नियंत्रण नहीं होता था कि जिस चीज के लिए लोगों को पैसे दिए गये हैं वे उसी चीज पर खर्च कर रहे हैं या नहीं। इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए ई-रुपी को विकसित किया गया है।
अब से सरकार किसी सेवा का लाभ देने के लिए पैसे के रूप में ई-रुपी जारी करेगी ताकि व्यक्ति केवल उसी सेवा के लिए पैसे खर्च कर सके जिस सेवा के लिए उसे ई-रुपी प्राप्त हुआ है।
ई-रुपी से क्या फायदे होंगे
सरकार को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर करने में जो समस्याएं आती हैं ई-रुपी उन समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है। ई-रुपी के बहुत सारे फायदे हैं । आइए जानते हैं –
- बेनिफिट के रूप में ई-रुपी को पहुँचाने के लिए सिर्फ एक फोन की जरूरत होगी। (व्यक्ति के पास बैंक खाता होना अनिवार्य नहीं है)
- फोन पर प्राप्त ई-रुपी का उपयोग करने के लिए फोन में इंटरनेट होना जरूरी नहीं है पर उस व्यक्ति / संस्था के पास इंटरनेट जरूर होना चाहिए जो ई-रुपी को स्वीकार करेगा।
- कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए
- चिकित्सा संबंधी स्कीम
- शिक्षा संबंधी स्कीम
- गरीबों को राशन प्रदान करने में ई-रुपी की मदद ली जा सकती है।
ई-रुपी कौन बना सकता है
ई-रुपी एक वाउचर है तो इसे बनाएगा कौन ?
ई-रुपी को उन बैंकों द्वारा जारी किया जाएगा जो ई-रुपी के पार्टनर बैंक हैं। कोई व्यक्ति या संस्था पार्टनर बैंकों के माध्यम से ई-रुपी बनवा सकती हैं। अभी के लिए केवल सरकार ही ई-रुपी को बनवाएगी लेकिन आने वाले समय में किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा ई-रुपी को बनाया जा सकता है। जिसे ईरुपी के पार्टनर बैंकों द्वारा जारी किया जाएगा।
ई-रुपी के पार्टनर बैंक –
अभी तक ई-रुपी के 11 पार्टनर बैंक हैं जिनमें क्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया। शामिल हैं।
किन लोगों को ई-रुपी से फायदा होगा
ई-रुपी का किसको फायदा होगा यह निर्भर करता है ई-रुपी किसके लिए जारी किया गया है। शुरुआत में सरकार ई-रुपी को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए जारी करेगी बाद में इसके फायदों और नुकसान को देखते हुए अन्य सुविधाओं के लिए भी ई-रुपी जारी किया जा सकता है।
ई-रुपी का इस्तेमाल कहाँ किया जा सकता है।
ई-रुपी का इस्तेमाल कहाँ हो सकता है इसका निर्णय ई-रुपी को जारी करने वाला व्यक्ति तय करेगा। मुख्य रूप से सरकार द्वारा तय केन्द्रों पर ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। अभी के लिए सरकार द्वारा चुनिंदा अस्पतालों में किया जा सकता है पर इसका स्कोप बहुत व्यापक है। भविष्य में इसका उपयोग व्यवसायों द्वारा किया जा सकता है। ई-रुपी के भविष्य को लेकर अपार संभावनाएं है।
सामान्य प्रश्न (FAQ)
क्या ई-रुपी क्रिप्टो करंसी है ?
नहीं, ई-रुपी क्रिप्टो करंसी नहीं है। यह बस एक प्रीपैड वाउचर है।
क्या ई-रुपी कोई ऐप है ?
नहीं, ई-रुपी एक पेमेंट प्लेटफॉर्म है जिसमें ई-रुपी नामक वाउचर से भुगतान किया जाता है।
क्या ई-रुपी से भुगतान करने के लिए इंटरनेट की जरूरत होगी ?
ई-रुपी से भुगतान करने के लिए ग्राहक के पास इंटरनेट होना जरूरी नहीं है पर विक्रेता (जो ई-रुपी स्वीकार कर रहा है) उसके पास इंटरनेट होना आवश्यक है।
ई-रुपी को किसने बनाया है ?
ई-रुपी को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India – NPCI ) द्वारा विकसित किया गया है।
ई-रुपी एक्सपायर होने पर क्या होगा ?
ई-रुपी वाउचर एक्सपायर होने पर उसका पैसा वापिस ई-रुपी निर्माणकर्ता के बैंक खाते में चला जाएगा।
ई-रुपी को कौन-कौन से बैंक जारी कर सकते हैं ?
ई-रुपी को क्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया। बैंक जारी कर सकते हैं।